श्री राम-वशिष्ठ संवाद, श्री रामजी का भाइयों सहित अमराई में जाना
चौपाई : एक बार बसिष्ट मुनि आए। जहाँ राम सुखधाम सुहाए॥अति आदर रघुनायक कीन्हा। पद पखारि पादोदक लीन्हा॥1॥ एक बार मुनि
Read Moreचौपाई : एक बार बसिष्ट मुनि आए। जहाँ राम सुखधाम सुहाए॥अति आदर रघुनायक कीन्हा। पद पखारि पादोदक लीन्हा॥1॥ एक बार मुनि
Read Moreचौपाई : एक बार रघुनाथ बोलाए। गुर द्विज पुरबासी सब आए॥बैठे गुर मुनि अरु द्विज सज्जन। बोले बचन भगत भव भंजन॥1॥
Read Moreसुनी चहहिं प्रभु मुख कै बानी। जो सुनि होइ सकल भ्रम हानी॥अंतरजामी प्रभु सभ जाना। बूझत कहहु काह हनुमाना॥2॥ वे
Read Moreदोहा : ग्यान गिरा गोतीत अज माया मन गुन पार।सोइ सच्चिदानंद घन कर नर चरित उदार॥25॥ जो (बौद्धिक) ज्ञान, वाणी और
Read Moreचौपाई : दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥1॥ ‘रामराज्य’
Read Moreदोहा : ब्रह्मानंद मगन कपि सब कें प्रभु पद प्रीति।जात न जाने दिवस तिन्ह गए मास षट बीति॥15॥ वानर सब ब्रह्मानंद
Read Moreचौपाई : अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥राम कहा सेवकन्ह बुलाई। प्रथम सखन्ह अन्हवावहु जाई॥1॥ अवधपुरी बहुत ही
Read Moreदोहा : आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान।नगर निकट प्रभु प्रेरेउ उतरेउ भूमि बिमान॥4 क॥ कृपा सागर भगवान् श्री रामचंद्रजी ने
Read Moreदोहा : रहा एक दिन अवधि कर अति आरत पुर लोग।जहँ तहँ सोचहिं नारि नर कृस तन राम बियोग॥ श्री रामजी
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