Uttarakand

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श्री राम-वशिष्ठ संवाद, श्री रामजी का भाइयों सहित अमराई में जाना

चौपाई : एक बार बसिष्ट मुनि आए। जहाँ राम सुखधाम सुहाए॥अति आदर रघुनायक कीन्हा। पद पखारि पादोदक लीन्हा॥1॥ एक बार मुनि

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श्री रामजी का प्रजा को उपदेश (श्री रामगीता), पुरवासियों की कृतज्ञता

चौपाई : एक बार रघुनाथ बोलाए। गुर द्विज पुरबासी सब आए॥बैठे गुर मुनि अरु द्विज सज्जन। बोले बचन भगत भव भंजन॥1॥

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मंगलाचरण

श्लोक : केकीकण्ठाभनीलं सुरवरविलसद्विप्रपादाब्जचिह्नंशोभाढ्यं पीतवस्त्रं सरसिजनयनं सर्वदा सुप्रसन्नम्‌।पाणौ नाराचचापं कपिनिकरयुतं बन्धुना सेव्यमानं।नौमीड्यं जानकीशं रघुवरमनिशं पुष्पकारूढरामम्‌॥1। मोर के कण्ठ की आभा के

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