श्री रामजी का आगे प्रस्थान,

चौपाई : मुनि पद कमल नाइ करि सीसा। चले बनहि सुर नर मुनि ईसा॥आगें राम अनुज पुनि पाछें। मुनि बर बेष...

राक्षस वध की प्रतिज्ञा करना,

दोहा : निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह॥9॥ श्री रामजी ने भुजा...

राम का दंडकवन प्रवेश, जटायु

है प्रभु परम मनोहर ठाऊँ। पावन पंचबटी तेहि नाऊँ॥दंडक बन पुनीत प्रभु करहू। उग्र साप मुनिबर कर हरहू॥8॥ हे प्रभो!...

शूर्पणखा की कथा, शूर्पणखा का

सूपनखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥पंचबटी सो गइ एक बारा। देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥2॥ शूर्पणखा नामक...

शूर्पणखा का रावण के निकट

धुआँ देखि खरदूषन केरा। जाइ सुपनखाँ रावन प्रेरा॥बोली बचन क्रोध करि भारी। देस कोस कै सुरति बिसारी॥3॥ खर-दूषण का विध्वंस...

मारीच प्रसंग और स्वर्णमृग रूप

दोहा : करि पूजा मारीच तब सादर पूछी बात।कवन हेतु मन ब्यग्र अति अकसर आयहु तात॥24॥ तब मारीच ने उसकी पूजा...

मंगलाचरण

श्लोक : कुन्देन्दीवरसुन्दरावतिबलौ विज्ञानधामावुभौशोभाढ्यौ वरधन्विनौ श्रुतिनुतौ गोविप्रवृन्दप्रियौ।मायामानुषरूपिणौ रघुवरौ सद्धर्मवर्मौ हितौसीतान्वेषणतत्परौ पथिगतौ भक्तिप्रदौ तौ हि नः ॥1॥ कुन्दपुष्प और...

श्री रामजी से हनुमानजी का

चौपाई : आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥तहँ रह सचिव सहित सुग्रीवा। आवत देखि अतुल बल सींवा॥1॥ श्री रघुनाथजी फिर...

सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि

दोहा : तब हनुमंत उभय दिसि की सब कथा सुनाइ।पावक साखी देइ करि जोरी प्रीति दृढ़ाइ॥4॥ तब हनुमान्‌जी ने दोनों ओर...

सुग्रीव का वैराग्य

कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा॥दुंदुभि अस्थि ताल देखराए। बिनु प्रयास रघुनाथ ढहाए॥6॥ सुग्रीव ने कहा- हे रघुवीर!...

बालि-सुग्रीव युद्ध, बालि उद्धार, तारा

दोहा : कह बाली सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ।जौं कदाचि मोहि मारहिं तौ पुनि होउँ सनाथ॥7॥ बालि ने कहा- हे भीरु!...

तारा को श्री रामजी द्वारा

तारा बिकल देखि रघुराया। दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया॥छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा॥2॥ बतारा को...